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मेरी दिमाग में प्रेम की संपूर्ण तस्वीर बनी ही नहीं

मेरी दिमाग में प्रेम की संपूर्ण तस्वीर बनी ही नहीं।कभी किसी के चेहरे से ,कभी होंठों से ,कभी आंखों से ,कभी पैरों से ,कभी किसी की कमर तो कभी किसी की मासूमियत से प्रेम किया।इसलिए प्रेम की संपूर्णता भरी तस्वीर अभी तक अधुरी है।
#मदन चम्बियाल#
मेरी दिमाग में प्रेम की संपूर्ण तस्वीर बनी ही नहीं।कभी किसी के चेहरे से ,कभी होंठों से ,कभी आंखों से ,कभी पैरों से ,कभी किसी की कमर तो कभी किसी की मासूमियत से प्रेम किया।इसलिए प्रेम की संपूर्णता भरी तस्वीर अभी तक अधुरी है।
#मदन चम्बियाल#