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पता नही क्यों सोच रहा हूँ इक खत लिखु वो भी प्यार क

पता नही क्यों सोच रहा हूँ इक खत लिखु वो भी प्यार का जिसको डाकिया लेके जाये तुम्हारे घर और तुम चोरी से खत को लो और। जिसके हर इक शब्द प्यार के चासनी मे पके हो और जिसे पढ़ने के लिए सुनसान सा जगह खोजो सपनो वाला तुम्हारा जगह जहा सिर्फ हमारा प्यार ज्यादा हो और मै और तुम। अब मै इन दोनों (फेसबुक और व्हाट्सएप्प) का सहारा छोड़ देना चाहता हु जहा प्यार प्यार ही नही बल्कि मशीन हो गया है प्यार करने के लिए पूछना पड़ेगा कि प्यार कर सकता हूँ की नही खत के द्वारा  प्यार के सलीके तो सैम है मगर तरीके अलग है हा मे इस खत को सबसे बेस्ट मानता हूँ मैं तुम्हे एक खत लिखना चाहता हूँ।
।।✍️krishna t
पता नही क्यों सोच रहा हूँ इक खत लिखु वो भी प्यार का जिसको डाकिया लेके जाये तुम्हारे घर और तुम चोरी से खत को लो और। जिसके हर इक शब्द प्यार के चासनी मे पके हो और जिसे पढ़ने के लिए सुनसान सा जगह खोजो सपनो वाला तुम्हारा जगह जहा सिर्फ हमारा प्यार ज्यादा हो और मै और तुम। अब मै इन दोनों (फेसबुक और व्हाट्सएप्प) का सहारा छोड़ देना चाहता हु जहा प्यार प्यार ही नही बल्कि मशीन हो गया है प्यार करने के लिए पूछना पड़ेगा कि प्यार कर सकता हूँ की नही खत के द्वारा  प्यार के सलीके तो सैम है मगर तरीके अलग है हा मे इस खत को सबसे बेस्ट मानता हूँ मैं तुम्हे एक खत लिखना चाहता हूँ।
।।✍️krishna t
yashutiwari0667

yashu tiwari

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