तुम बाँटे जा रहे हो, हां हां तुम बाँटे जा रहे हों, बिना खंजर तलवार के, तुम काँटे जा रहे हो, तुम बाँटे जा रहे हो.... कभी हिन्दू और मुसलमानों में, कभी ऊंच नीच के तानो में, झूठी शौकत-शानो में, झुठे अधिकारों सम्मानों में, तुम झोंके जा रहे हो, ये सियासतों के दौर हैं, और तुम ठगे जा रहे हो, तुम बाँटे जा रहे हो.... जिनका हो मकसद ही सिर्फ, सिंहासन पर चढ़ने का, वो बार बार मौका देंगे, तुमको आपस मे लड़ने का, अपना ईमान जगाओ यारो, तुम ऐंठे जा रहे हो, उनका चक्कर छोड़ो, जो थूक के चाटें जा रहे हो। तुम बाँटे जा रहे हो.... Dirty Politics