अक्सर लोग अपनों को, गलत कहने से इतराते हैं उनके काले कृत्यों पर सफेद चादर डाल, स्वयं को शहंशाह पातें हैं, कर्म -फल शरीर नहीं समझता किन्तु "सत्य"आत्मा सदैव जानती है क्यूंकि गलत करने वाले, समय पड़ने पर ,अपनों पे भी तरस नहीं खाते हैं। ©virutha sahaj #गलत गलत होता है