इन अँधेरी रातों की तरह, तन्हाइयों से घिरी हुँ। गिरी हु काले अंधेरे में, पर अपने खुदा की मर्ज़ी से गिरी हुँ। अफ़्सोस करोगें शायद तुम, की ये बेकुसूर क्यों गिरी। गिर कर संभालेगा ख़ुदा, सिर्फ़ इसीलिए गिरी। @aasthabajpai ख़ुद के बंदे🙏🙏🙏🙏 Raghav Yadav