बचपन और उम्मीद बचपन में जहां चाहा हंस लेते थे जहां चाहा रो लेते थे, पर अब मुस्कान को तमीज़ चाहिए और आंसूओं को तनहाई #बचपन में #जहां #चाहा #हंस लेते थे #जहां चाहा #रो लेते थे, पर #अब #मुस्कान को #तमीज़ चाहिए और #आंसूओं को #तनहाई