समय मिले तो आकर मिलना लाइब्रेरी की टेबल पर, कुछ न बोलेंगें हम ज़ुबाँ से और अटकेंगे किताबों पर, पलटेंगे पेजों को यूँ हीं लफ्ज़ सुनेंगें हज़ारों पर, लिखे हुए लैटर का क्या करना ? जज़्बात पढ़ेंगे आँखों पर, दांतों तले कभी होंठ दबाते मुस्कान छुपायेंगे होंठों पर, समय मिले तो आकर मिलना, लाइब्रेरी की टेबल पर। library