हाँ मैं भी आज़ाद हूँ, सदा- सदा अमर रहे वो ज्ञान पुरुष सदा चकाचौंध रहे वो युगपुरुष जिसके पौरष की गाथा गूंजे युग - युगों जिसके तप की यश गाथा रहे अजर - अमर जिनकी वाणी ने भारत को गाया है जिनकी जिव्हा पर मां शारदा को पाया है उनकी अल्पायु ने भारत को अमर बनाया है उनकी आशा ने फिर एक नया सवेरा उगाया है एक पुरुष ने भारत का पौरष लिख डाला है गीता के हर श्लोक को पुनः जीवित कर डाला है आयुर्वेद को स्वदेशी से जोड़कर भारत को फिर सोने की चिड़िया बना डाला है लूट मची थी लुटेरों की देश में कंपनियों को बंद करवा कर "राजीव"ने देश बचाया है - विश्वास उपाध्याय (लेखक साहब) डूंगरपुर राजस्थान #Freedom#Rajiv Dixit