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वाकई कुछ अनोखा सा रिशता है इस महफिल से ना जाने

वाकई कुछ अनोखा सा 
रिशता है
इस महफिल  से 
ना जाने कितनो के  जज्बात दिखते है
ना जाने कितने दिलो के भाव बयां होते है
ना कोई अपना सा 
फिर भी ना कोई पराया है
व्यक्त वो भाव होता है
जो कभी  बयां ना हो पाया है 
इशारो में  ही सही 
बात उस तक पहुंचती है
जिसे कभी बोल ना पाया है !!

©@dil_ki baat❤️
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