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#मौत_का_सच_ #नई_रचना। इंसानी ज़िन्दगी का सच क्या है

#मौत_का_सच_
#नई_रचना।
इंसानी ज़िन्दगी का सच क्या है।
ज़िन्दगी और मौत की सूरत क्या है।
काश वक़्त आये उससे बात करूं।
मौत रूबरू हो फिर  हर बात करूं।
मौत के वक़्त तकलीफ क्यों होती है।
जां निकलने में आंख क्यों रोती है।
मौत के बाद कहाँ कौन सा बसेरा है।
बिल आख़िर रूह का कहां डेरा है।
ज़िन्दगी बेहतर है या मौत बेहतर है।
आखिर इन दोनों में कौन कमतर है।।
ज़िन्दगी गर ईनाम है फिर मौत क्यों है।
मौत हक़ है तो फिर ज़िन्दगी क्यों है।
ज़िन्दगी और मौत का है ये खेल कैसा।
इसे समझे बिना हरकोई ढूंढ रहा है पैसा।
मौत के फरिश्तों की हकीकत क्या है।
मौत के वक़्त दर्द की फ़ज़ीलत क्या है।
रात गए अक्सर यही सोचने लगता हूं।
मौत,ज़िन्दगी के तिलिस्म को पढ़ता हूँ।
काश ज़िन्दगी या मौत से बात हो जाये।
मौत क्यों आती है बात साफ हो जाए। 
#क़ाज़ी_कमाल मौत का सच क्या है ?
#मौत_का_सच_
#नई_रचना।
इंसानी ज़िन्दगी का सच क्या है।
ज़िन्दगी और मौत की सूरत क्या है।
काश वक़्त आये उससे बात करूं।
मौत रूबरू हो फिर  हर बात करूं।
मौत के वक़्त तकलीफ क्यों होती है।
जां निकलने में आंख क्यों रोती है।
मौत के बाद कहाँ कौन सा बसेरा है।
बिल आख़िर रूह का कहां डेरा है।
ज़िन्दगी बेहतर है या मौत बेहतर है।
आखिर इन दोनों में कौन कमतर है।।
ज़िन्दगी गर ईनाम है फिर मौत क्यों है।
मौत हक़ है तो फिर ज़िन्दगी क्यों है।
ज़िन्दगी और मौत का है ये खेल कैसा।
इसे समझे बिना हरकोई ढूंढ रहा है पैसा।
मौत के फरिश्तों की हकीकत क्या है।
मौत के वक़्त दर्द की फ़ज़ीलत क्या है।
रात गए अक्सर यही सोचने लगता हूं।
मौत,ज़िन्दगी के तिलिस्म को पढ़ता हूँ।
काश ज़िन्दगी या मौत से बात हो जाये।
मौत क्यों आती है बात साफ हो जाए। 
#क़ाज़ी_कमाल मौत का सच क्या है ?