मेरी क़लम का पैगाम दिलफेंक आशिकों के नाम वो आशिक़ी भी भला क्या आशिक़ी जब आपने उसे अच्छे से ताड़ा भी ना हो, वो दिल्लगी भला क्या दिल्लगी अगर आपने उसका नम्बर जुगाड़ा भी ना हो। वो आशिक़ी भी क्या आशिक़ी अगर आपने उसे घर तक छोड़ने का जिम्मा ना उठाया हो वो दिल्लगी भला क्या दिल्लगी अगर आपने उसे दोस्तो से तेरी भाभी ना कहलवाया हो। वो आशिक़ी भी भला क्या आशिक़ी अगर उसके मौहल्ले में जा जाकर बदनाम न हो। वो दिल्लगी भला क्या दिल्लगी उसके ट्यूशन ना आने पे परेशान न हो (read full poem इन caption) वो आशिक़ी भी भला क्या आशिक़ी अगर आपने पूरी क्लास में बैठ के उसे निहारा न हो वो दिल्लगी भला क्या दिल्लगी अगर उसके चक्कर मे एक आध पेपर न बिगड़ा हो वो आशिक़ी भी भला क्या आशिक़ी अ गर जेब खर्च से उसके लिए चोकलेट ना भिजवाई हो वो दिल्लगी भला क्या दिल्लगी उससे पहले उसकी सहेली न पटाई हो। लास्ट लाइन लड़को के give up na krne par