बिखर रहे हैं प्रश्न बनकर जज्बात, आखिर किसके पास है जबाब, जो मिल नहीं सकते नदिया के किनारे, तो साथ क्यों चलते हैं, क्यों तकदीर पर बस नहीं चलता है, क्यों चाँद को अमावस का अँधेरा निगलता है, भूल जाने वाले को ही क्यों दिल याद करता है। आखिर जज्बातों पर किसका जोर चलता है। #जज्बात़ #yqquotes #yqdidi