नारी खुद में ही एक जिम्मेदारी है। पुरुष समाज कहता है कमजोर उसे,पर असल में होती वो शक्तिशाली है। खुश और शांत हो तो लगती गौरी, कभी-कभी बनती दुर्गा-काली है। निभाती रिश्ते-नाते बड़े प्रेम से,फिर भी सुनती किसी न किसी के ताने और गाली है। होती तो है घर की शोभा। पर इसकी शान के अलावा भी होती उसपे कई जिम्मेदारी है। नारी प्यार से सबको सींचने वाली एक फुलवारी है। रोती भी है वो कई दफा ,अकेले सारे दुखों को सह कर भी हिम्मत नहीं उसने कभी हारी है। हाल पूछने वाले बहुत कम हैं उसके ,क्योंकि वो एक नारी है। पर एक नारी होकर भी वो अनेको नरों पे भारी है।नारी होना ही अपने आप में एक जिम्मेदारी है। प्रिय लेखक और लेखिकाओं, 1.आप और आपके द्वारा प्रोत्साहित प्रतिभागी इस प्रतियोगिता में कविता, शायरी, निबंध, और कहानी लिख सकते हैं। 2.हिंदी और इंग्लिश दोनों में लिख सकते हैं। 3. Collab करने के पश्चात Done करें।