आज फिर उन सबका गुस्सा तर गया, जब उनके हाथों एक पाक मर गया! वो झुण्ड भेड़ों का था, जो न्याय करने बैठ गया, तू अकेला क्या उखाड़ेगा, खबरदार जो तू ऐंठ गया!! हाथ जोड़े, पाँव पड़े, और लाख चिल्लाया, पर हजारों में से बचाने कोई नहीं आया! सड़क पर खड़ा हर शख्स जब तमाशबीन हो गया, 'ऊपर वालों' का है तमाशा, मुझको यकीन हो गया! 'देशद्रोह' का न्याय करने वाले लोग वो देशभक्त थे, भीड़ उनकी सेना थी, झूठ फरेब उनके शस्त्र थे उन पचासों का उस रोज़, सिर्फ एक ही शिकार था, खबर कुछ यूँ थी कि उसका कर्म एक पाप था झूठी थी या सच्ची थी किसको इसकी खबर थी? सबके अंदर दौड़ रही बस देशभक्ति की लहर थी! शरीर के हर हिस्से को नोंच खाने के इरादे से आए थे चाकू, लाठी, बंदूक, तलवार सरेआम सब लाए थे! खून से लपटा हुआ, सड़क पर पड़ा हुआ, उसका परिवार अब लाचार हुआ पर वो शरीर उधेड़ने वाला, वो आँख नोचने वाला, हर कोई ही फरार हुआ जाँच के आदेश गए, जब खबरें उछली अखबारों में, पर किसको पता, किसे बंद करना है बंद दीवारों में! जाँच कमेटी के मध्य में बैठा हुआ बादशाह था, जिसने घोषित कर दिया कि ये एक हादसा था! नादान हत्यारों को फिर नेताजी माला पहनाने आए और मरने वालों को बचने के कुछ उपाय भी बताए, मेरे अंदर के डर ने मुझको मुझमें दबोच लिया, ये मेरे साथ नहीं होगा, कैसे मेंने सोच लिया! कानून के रक्षक बने फिरते, देशभक्त सबकी पहचान है, न समझें जब से दीवाली है देश में, तब से ही रमजान है! सोच रहा था कि किस्सा ये गुजर गया, अगले दिन खबर आई, एक पाक और मर गया!... आज फिर उन सबका गुस्सा तर गया, जब उनके हाथों एक पाक मर गया! वो झुण्ड भेड़ों का था, जो न्याय करने बैठ गया, तू अकेला क्या उखाड़ेगा, खबरदार जो तू ऐंठ गया!! हाथ जोड़े, पाँव पड़े, और लाख चिल्लाया, पर हजारों में से बचाने कोई नहीं आया! सड़क पर खड़ा हर शख्स जब तमाशबीन हो गया,