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ढूंढते हैं तुमको चार–सू , तुम नज़र नहीं आती , एक ख

ढूंढते हैं तुमको चार–सू ,
तुम नज़र नहीं आती ,
एक ख़्वाब के सहारे थे ,
तो ,अब मुक्कमल नींद नहीं आती !

डाकिया कहता है ,
पते पर पहुंच जाते हैं मेरे खत ,
फिर ये बताओ ,
तुम्हारी कोई खबर क्यूं नहीं आती ?

कहते सुना है लोगो से ,
मेरे बाद बहुत रंगीन है तुम्हारी दुनियां ,
तुम्हारी जिंदगी में फिर मुझे ,
और रंग नजर क्यूं नहीं आते ?

मैं तो हूं काफ़िर ,
मुझे कहां मयस्सर खुदा ,
तुम तो ठहरे थे नमाज़ी ,
तुम  मेरी महफ़िल में नज़र क्यूं आए ? Content in Caption :

ढूंढते हैं तुमको चार–सू ,
तुम नज़र नहीं आती ,
एक ख़्वाब के सहारे थे ,
तो ,अब मुक्कमल नींद नहीं आती !

डाकिया कहता है ,
ढूंढते हैं तुमको चार–सू ,
तुम नज़र नहीं आती ,
एक ख़्वाब के सहारे थे ,
तो ,अब मुक्कमल नींद नहीं आती !

डाकिया कहता है ,
पते पर पहुंच जाते हैं मेरे खत ,
फिर ये बताओ ,
तुम्हारी कोई खबर क्यूं नहीं आती ?

कहते सुना है लोगो से ,
मेरे बाद बहुत रंगीन है तुम्हारी दुनियां ,
तुम्हारी जिंदगी में फिर मुझे ,
और रंग नजर क्यूं नहीं आते ?

मैं तो हूं काफ़िर ,
मुझे कहां मयस्सर खुदा ,
तुम तो ठहरे थे नमाज़ी ,
तुम  मेरी महफ़िल में नज़र क्यूं आए ? Content in Caption :

ढूंढते हैं तुमको चार–सू ,
तुम नज़र नहीं आती ,
एक ख़्वाब के सहारे थे ,
तो ,अब मुक्कमल नींद नहीं आती !

डाकिया कहता है ,