ढूंढते हैं तुमको चार–सू , तुम नज़र नहीं आती , एक ख़्वाब के सहारे थे , तो ,अब मुक्कमल नींद नहीं आती ! डाकिया कहता है , पते पर पहुंच जाते हैं मेरे खत , फिर ये बताओ , तुम्हारी कोई खबर क्यूं नहीं आती ? कहते सुना है लोगो से , मेरे बाद बहुत रंगीन है तुम्हारी दुनियां , तुम्हारी जिंदगी में फिर मुझे , और रंग नजर क्यूं नहीं आते ? मैं तो हूं काफ़िर , मुझे कहां मयस्सर खुदा , तुम तो ठहरे थे नमाज़ी , तुम मेरी महफ़िल में नज़र क्यूं आए ? Content in Caption : ढूंढते हैं तुमको चार–सू , तुम नज़र नहीं आती , एक ख़्वाब के सहारे थे , तो ,अब मुक्कमल नींद नहीं आती ! डाकिया कहता है ,