हिंद नाम के सूरज को, इस तरह नही ढलने देंगे हम हृदय प्रेम से भर देंगे, अब द्वेष नही पलने देंगे ये चिंगारी जो भड़की है, ना दिल में घर करने पाए सींचा है खून से धरती को, बस्ती को ना जलने देंगे सूनी गोदें ना होंगी अब, सिंदूर ना पोछा जाएगा हम जाति-धर्म की बातों पर, बेटों को ना लड़ने देंगे हो ख़ुशियों से खलिहान भरे, हर दिल मे भाई-चारा हो अब नफ़रत की बंदूकों में, बारूद नही भरने देंगे जब दीवाली में दीप जले, हर हिंदुस्तानी गले मिले भारत माता की आँखों से, अब आँसू ना बहने देंगे हम हृदय प्रेम से भर देंगे, अब द्वेष नही पलने देंगे एक संकल्प जो सभी भारतीयों को लेना होगा.... . . . . .