प्रेम के 'वृत्त' का 'केंद्र बिंदु' होता है विश्वास 'त्रिज्या', 'त्रिज्या' मिलकर बनाती हैं 'व्यास' जिसको समझ नहीं इस 'ज्यामिति' की उनके लिए 'परिधि' भी नहीं होती खास। P. S. - PINTEREST Inspird by Alien Friend (रोली जी) आज उनसे बात करते करते यह एक thought दिमाग में आया, किसी कारण से उस time पूरा नहीं लिख पाया..! पहली त्रिज्या नारी, दूसरी त्रिज्या पुरुष और दोनों त्रिज्या मिल जाएं एक साथ तो व्यास रूपी सफ़र तय कर लेते हैं..,।