मैं शुष्क हृदय में नमी ढूँढता हूँ मैं शुष्क नयन में नदी ढूँढता हूँ मानवता जब भौतिकता से घिर जाती है मैं मौन लिए प्रतिध्वनि ढूँढता हूँ।। -- कुन्दन कुमार मल्लिक #प्रतिध्वनि