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टूटे हुए भले ही, पंख हों मेरे। ना समझना बीता हुआ

टूटे हुए भले ही, पंख हों मेरे। 
ना समझना बीता हुआ मंज़र हूं मैं

हवा का रुख, मेरे हक़ में ना सही
 लेकिन अनुभवों का समुंदर हूं मैं

चुनौतियों को कर दो और कड़ा
मुश्किलों को कर दो और बड़ा

जमकर करूंगा सामना इनका
हौसले का साक्षात बवंडर हूं मैं

©Shail Mehta #hindi_poetry 
#Poetry 
#hosla
टूटे हुए भले ही, पंख हों मेरे। 
ना समझना बीता हुआ मंज़र हूं मैं

हवा का रुख, मेरे हक़ में ना सही
 लेकिन अनुभवों का समुंदर हूं मैं

चुनौतियों को कर दो और कड़ा
मुश्किलों को कर दो और बड़ा

जमकर करूंगा सामना इनका
हौसले का साक्षात बवंडर हूं मैं

©Shail Mehta #hindi_poetry 
#Poetry 
#hosla
shailmehta8835

Shail Mehta

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