नारी ही जगत जननी -◆-◆-◆-◆-◆-◆-◆-◆- नारी ही जगत जननी, नारी ही पालनहार। नारी ही पूजनीय, नारी ही ममता का श्रृंगार। करुणा बसा ह्रदय में, सुख-दुख में रहे साथ, क्षितिज पे है नाम, ब्रह्मंड की सृष्टि का सार। अबला नहीं है नारी, दुर्गा और लक्ष्मी का वास, असत्य को धरा से मिटाने ,काली होती निवास। बिन इसके लगता है सूना-सूना आँगन अपना, टूटते हुए हर घर की, नारी ही है अंतिम आस। अनमोल तोहफ़ा है, नारी की स्वंय पहचान, स्वर्ग रख क़दमों में, सिखाती आदर्श का ज्ञान, पति की दीर्घ आयु, छीन लाती है यमराज से, देश बने उज्ज्वल, मिले नारी को मान-सम्मान। संस्कार, सभ्यता, समर्पण , त्याग कर जाती, चार कोर बाँट कर घरों में ,पानी पी सो जाती, एक घर में जन्म लेकर, दूजे घर में लुटाए प्यार, डोली से श्मसान तक का सफ़र, तय कर जाती। नारी से सुंदर है जीवन, नारी सुंदरता संसार की, माँ बन फूंक से दर्द मिटाए, माँ जैसे चमत्कार सी। मर्द की कामयाबी पे माता, पत्नी, बहन ,बेटी का नाम जीवन में हर पल नारी को समझो, एक उपकार सी। ©Manavata Tripathi (Tejashvi) #mtt1507 #poetrygirl_mtt1507 #SunSet