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Let's pray for Afghanistan. बंदिशों की बेड़ियों मे

Let's pray for Afghanistan. बंदिशों की बेड़ियों में जकड़ रही आजादी,
किस कदर अपने घर से बिछड़ रही आबादी।

दम घुट रहा है यहां गलियों चौबारों में कैसा,
लग रहा फिजाओं में जहर घुला हो जैसा।

मज़हबी हुकूमत में जीना मुहाल हो रहा,
कौम का कौम से  कैसा बवाल हो रहा।

कट्टरता कैसे आबाद शहर को खाक कर रही,
गर्दिश के सुराखों से  मजलुमियत झांक रही।

आवाम में अफरा तफरी है जालिमों ने घेरा है,
मशक्कत है जाने की दूर जिस ओर सवेरा है।

                                


–@jivankohlipoetry

©खुले जहां के आजाद मुसाफ़िर #Afghanistan 
#Taliban 
#jivankohlipoetry
 Govind Pandram Anamika jha dhyan mira Anshu writer  Bijendra Shukla
Let's pray for Afghanistan. बंदिशों की बेड़ियों में जकड़ रही आजादी,
किस कदर अपने घर से बिछड़ रही आबादी।

दम घुट रहा है यहां गलियों चौबारों में कैसा,
लग रहा फिजाओं में जहर घुला हो जैसा।

मज़हबी हुकूमत में जीना मुहाल हो रहा,
कौम का कौम से  कैसा बवाल हो रहा।

कट्टरता कैसे आबाद शहर को खाक कर रही,
गर्दिश के सुराखों से  मजलुमियत झांक रही।

आवाम में अफरा तफरी है जालिमों ने घेरा है,
मशक्कत है जाने की दूर जिस ओर सवेरा है।

                                


–@jivankohlipoetry

©खुले जहां के आजाद मुसाफ़िर #Afghanistan 
#Taliban 
#jivankohlipoetry
 Govind Pandram Anamika jha dhyan mira Anshu writer  Bijendra Shukla
jiwankohli5560

Jiwan Kohli

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