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जो दिल पढ़ता हैं वो ग़ज़ल हो तुम शांत पानी में खिली क

जो दिल पढ़ता हैं वो ग़ज़ल हो तुम
शांत पानी में खिली कमल हो तुम

एक कहानी सुनी थी परि की कभी
अब लगता हैं उसी की नक़ल हो तुम

हैं मुंतज़िर,दिल पागल तेरे दीदार को
मेरे इस दीवानगी की पहल हो तुम

हर कहीं मुझपे,तेरी जमाल की बादल
हैं मेरा मन आवारा या चंचल हो तुम #Dishapatani#again#3rdtime#beauty
*मुंतज़िर-इंतज़ार में
*जमाल-सौंदर्य
जो दिल पढ़ता हैं वो ग़ज़ल हो तुम
शांत पानी में खिली कमल हो तुम

एक कहानी सुनी थी परि की कभी
अब लगता हैं उसी की नक़ल हो तुम

हैं मुंतज़िर,दिल पागल तेरे दीदार को
मेरे इस दीवानगी की पहल हो तुम

हर कहीं मुझपे,तेरी जमाल की बादल
हैं मेरा मन आवारा या चंचल हो तुम #Dishapatani#again#3rdtime#beauty
*मुंतज़िर-इंतज़ार में
*जमाल-सौंदर्य