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"मजदूर" अपनो से दूर हूँ, माना कुछ मशहूर हूँ, इसके

"मजदूर"
अपनो से दूर हूँ,
माना कुछ मशहूर हूँ,
इसके क्या परिणाम हैं, 
यह भी इक आयाम है।

दिन बीत जाते हैं, 
रात कट जाती है,
खुद से इक दूरी है,
कैसी ये मजबूरी है।

उम्र ढल रहा है,
समय चल रहा है,
आदत से परेशान हूँ अब तो
ये क्यूँ नहीं बदल रहा है।

जिंदगी कठिन है ये पता है,
कुछ इसकी कुछ मेरी खता है,
कुछ पाने की चाह में अपनो से दूर हूँ 
मैं मजबूर हूँ, मैं इक मजदूर हूँ। उन सभी को समर्पित जो इस कठिन समय में अपने घर और अपनो से दूर हैं।
ये समय भी गुजर जायेगा।

#deeoriginal #deepakivani #anotherquote #life
"मजदूर"
अपनो से दूर हूँ,
माना कुछ मशहूर हूँ,
इसके क्या परिणाम हैं, 
यह भी इक आयाम है।

दिन बीत जाते हैं, 
रात कट जाती है,
खुद से इक दूरी है,
कैसी ये मजबूरी है।

उम्र ढल रहा है,
समय चल रहा है,
आदत से परेशान हूँ अब तो
ये क्यूँ नहीं बदल रहा है।

जिंदगी कठिन है ये पता है,
कुछ इसकी कुछ मेरी खता है,
कुछ पाने की चाह में अपनो से दूर हूँ 
मैं मजबूर हूँ, मैं इक मजदूर हूँ। उन सभी को समर्पित जो इस कठिन समय में अपने घर और अपनो से दूर हैं।
ये समय भी गुजर जायेगा।

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