न जाने किस तरह गुजारी है जिंदगी,इक शख्स को हार कर हारी है जिंदगी.. मैं उसके वस्ल(पास) में रहा नक़्त(शाम) तक, और फिर फिराक-ए-शब(जुदायी की रात) में हारी है जिंदगी.. खोजता रहा ताउम्र नासेह(उपदेश देने वाला) अपना, हर किसी की बात मान हारी है जिंदगी.. न जाने किस शय की तलाश में जलाकर खुद को,राखो को कुरेदता अकिंचन हारी है जिंदगी.. मेरे इक जीत पर इतरा जाते है चाहने वाले मेरे, मैने हर दिन मुसलसल(लगातार) हारी है जिंदगी.. फिर किसी किस्से में मेरा जिक्र होगा 'अभिषेक', फिर मेरे किरदार ने हारी है जिंदगी✒️✒️ #defeated