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मजहब का ढोल बजाकर क्या करूं अल्फाज यहां तो इंसानि

मजहब का ढोल बजाकर क्या करूं  अल्फाज
यहां तो इंसानियत हीं किसी के पल्ले नहीं पड़ती #alone मजहब का ढोल बजाकर क्या करूं  अल्फाज
यहां तो इंसानियत हीं किसी के पल्ले नहीं पड़ती
#मजहब #ढोल#इंसानियत#अल्फाज
मजहब का ढोल बजाकर क्या करूं  अल्फाज
यहां तो इंसानियत हीं किसी के पल्ले नहीं पड़ती #alone मजहब का ढोल बजाकर क्या करूं  अल्फाज
यहां तो इंसानियत हीं किसी के पल्ले नहीं पड़ती
#मजहब #ढोल#इंसानियत#अल्फाज