मुद्दों से भटकाया जा रहा है सारे युवा को भरमाया जा रहा है संशोधन के नाम पर सिर्फ हाक रहे हो हलवा समझ लिया है कि औरों को बांट रहे हो बहुत हो गया अब सब्र का बांध टूट गया है ऐसा लग रहा मानो सब कुछ लुट गया है चेतावनी समझो या ललकार तुम्हें मानना पड़ेगा हार बहुत हो चुका कोई भी नौटंकी नहीं सहेंगे हक अपना अब जैसे भी हो लेकर रहेंगे ©Aditya Neerav #bpsc_teacher_Exam