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मुझे बचपन से ही शायरी का शौक था और है भी मैं जब क्

 मुझे बचपन से ही शायरी का शौक था और है भी मैं जब क्लास 9 मे पढ़ता था मिर्ज़ागालिब इण्टरमीडिएट कॉलेज मे फिर मुझसे मेरे सर बोले बेटा नसीम तुम्हें पढ़ना है 26 जनवरी पे तो मैंने पहली बार जलालपुर की धर्ती पे जिस कालेज से मुझे तालीम हांसिल हुई उसी मे पढ़ा और तब से मुझे शेर लिखने का शौक हुआ और अब शायरी से इश्क हो गया मुझे मैंनें पूरी मेहनत भी की इस काम को अंजाम देने के लिये और आज आप सब की दुआ से मैंने 10 गज़ल और 3 नज़्म लिखी
#नसीम_अहमद_जलालपुरी
 मुझे बचपन से ही शायरी का शौक था और है भी मैं जब क्लास 9 मे पढ़ता था मिर्ज़ागालिब इण्टरमीडिएट कॉलेज मे फिर मुझसे मेरे सर बोले बेटा नसीम तुम्हें पढ़ना है 26 जनवरी पे तो मैंने पहली बार जलालपुर की धर्ती पे जिस कालेज से मुझे तालीम हांसिल हुई उसी मे पढ़ा और तब से मुझे शेर लिखने का शौक हुआ और अब शायरी से इश्क हो गया मुझे मैंनें पूरी मेहनत भी की इस काम को अंजाम देने के लिये और आज आप सब की दुआ से मैंने 10 गज़ल और 3 नज़्म लिखी
#नसीम_अहमद_जलालपुरी