प्रेमिका के रूप में, अगर तुम्हें नारी का असीमित प्यार मिले… सँभालना उसको, देखना उसे कभी भी चोट ना लगे… ये न सोचना कि दुख बताने पर वो सवाल करेगी… तुम्हारे मौन को सुनने की, पढ़ने की ताकत वो रखती है… यकीन मानो, फिर भी, वो चाहती है कि तुम शामिल करो उसे अपने-आप, अपने सुख में, अपने दुख में… वो देखना चाहती है तुम्हारा सहज रूप, तुम्हारी नरमी, तुम्हारा पिघलना… के जरूरी नहीं, हर समय ठोस मर्दानगी में रहना… वो पोंछना चाहती है अश्रु तुम्हारे... तुम्हें आंँचल में छुपा कर, हृदय में समेट लेना चाहती है, सभी अवसाद तुम्हारे... तुम्हारे माथे को चूम कर, वो कहना चाहती है, सब ठीक हो जाएगा... और हाँ, जब वो टूट कर बिखरे, तो तुमसे भी वो यही चाहती हैं ©Rihan khan #Bhoojh