असरार हो चुकी ख्वाहिशें ए सनम यूँ आतिश न लगा, उभर आयेगी दफ़्तन ही फिर अब यूँ चिंगारी न लगा, इंतज़ार-ए-यार में तन्हाइयां ही हैं,यूँ बेकरारी न बढ़ा, पयाम-ए-महबूब को भेज दिया,आ जा यूँ देरी न लगा, जरस-ए-धड़कन बढ़ने लगी,ए सनम यूँ खुमारी न बढ़ा, दिल-ए-मुन्तरिज,चाह-ए-वस्ल-ए-यार अब और न बढ़ा। "अजीज/प्रिय" "कातिबों/लेखकों" 👉आज की बज़्म/प्रतियोगिता के लिए आज का हमारा अल्फ़ाज़/शब्द है 👇👇👇👇 👉 🌸"असरार/اسرار"🌸 🌻"Asraar"🌻 👉तहरीर/मतलब- रहस्य, भेद, राज