Nojoto: Largest Storytelling Platform

राहें जो मंजिल की और को जा रही थी, न जानें क्या लि

राहें जो मंजिल की और को जा रही थी, न जानें क्या लिखा था,
रब ने मेरे बारे में, मेरी तकदीर दिन ब दिन बिखरती जा
रही है,अब तो सुकून भी रास नहीं आता दिल को ,
हर खुशी, गमों से उलझती जा रही है, अब न और सहने
की ताकत है, मुझमें ये जिंदगी एक बदनसीबी की
लकीरों में जाने क्यों सिमटती जा रही है"

©पथिक
  #बनते बनते#बिगड़ती जा रही हैं #pathik

#बनते बनतेबिगड़ती जा रही हैं #pathik #शायरी

143 Views