Nojoto: Largest Storytelling Platform

आती है धूप पर्दे से छन कर, जब मेरी खिड़की से मुझ तक

आती है धूप पर्दे से छन कर,
जब मेरी खिड़की से मुझ तक,
फिर खेलती है अनेक आकृतियाँ
मेरे कमरे की दीवारों पर,
हवा में झूलती पेड़ों की पत्तियाँ 
तितलियों सी उड़ती हुई और
खेलती उन संग मैं भी पकड़ती
परछाईयाँ...
इन परछाइयों में
मेरी भी परछाई करती मेरी नकल,
 बन जाती इक सहेली सी इस खेल में |

©Rajni Sardana
  #roshni #dhoop#parchhayi