वो भी तो कह सकते हैं ©Anand Mohan Jha वो भी तो कह सकते थे.. इतनी बेरुखी किसलिए और किस्से? हम तो मोहब्बत थे उनके चलो सरोकार नही रखा उन्होने लेकिन खयालातों में अक्सर हमको लाते हैं। हम जैसे उनको याद करते है। वो भी तो तडपते हैं। चलो मोहब्ब नहीं दरम्यान पर दिल में जो भी बात दबी थी। वो भी तो कह सकते थे...