उस के पैरों में कभी बेडियाँ नहीं चाही मैंने, मैं उसका हर ख्वाब आजाद चाहता था, इक अजनबी ऐसा भी मिला मुझे इस सफर में, जिसके साथ मैं हँसता था, मुस्कुराता था.. शायद, थोड़ा और जीना चाहता था ।। उस के पैरों में कभी बेडियाँ नहीं चाही मैंने, मैं उसका हर ख्वाब आजाद चाहता था, इक अजनबी ऐसा भी मिला मुझे इस सफर में, जिसके साथ मैं हँसता था, मुस्कुराता था.. शायद, थोड़ा और जीना चाहता था ।। -:नागवेन्द्र शर्मा(रघु) #nagvendrasharma #अजनबी #मौहब्बत #झल्ली #lastlove #nowords #अहसास