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इश्क़ का गम कहते थे, इश्क़ तुमसे बेशुमार हो गया ,,

इश्क़ का गम
कहते थे, इश्क़ तुमसे बेशुमार हो गया ,,,
देखा जो आसमां तो तुम्हारा दीदार हो गया।। 
कहीं असमान की परी तो नही हो तुम,,,
जिसे देखने भर के लिए दिल बेकरार हो गया।।। 
अब............. 
 ये नजरो का फसाना बदल सा गया,, 
फेर लेते है निगाहें, जो नज़र डाल दे हम ,, 
आखिर कैसा ये तकरार हो गया।।
आँखों मे बेरुखी, होठो पे शिकायत कैसे ये अपने रिश्ते से इश्क़ फरार हो गया।।
 ढूँढ  रही हूँ अपने प्यार को दर'ब'दर छुपा हो गर,
पकड़ लाऊँगी उसे एक बारी, उसका जो दीदार हो गया।।

©kajal
  # shyri

#Rose 
#mamories
इश्क़ का गम
कहते थे, इश्क़ तुमसे बेशुमार हो गया ,,,
देखा जो आसमां तो तुम्हारा दीदार हो गया।। 
कहीं असमान की परी तो नही हो तुम,,,
जिसे देखने भर के लिए दिल बेकरार हो गया।।। 
अब............. 
 ये नजरो का फसाना बदल सा गया,, 
फेर लेते है निगाहें, जो नज़र डाल दे हम ,, 
आखिर कैसा ये तकरार हो गया।।
आँखों मे बेरुखी, होठो पे शिकायत कैसे ये अपने रिश्ते से इश्क़ फरार हो गया।।
 ढूँढ  रही हूँ अपने प्यार को दर'ब'दर छुपा हो गर,
पकड़ लाऊँगी उसे एक बारी, उसका जो दीदार हो गया।।

©kajal
  # shyri

#Rose 
#mamories