Nojoto: Largest Storytelling Platform

आखिर क्यूं इतना लगाव तुम्हें मेरी यातना में है, बस

आखिर क्यूं इतना लगाव तुम्हें मेरी यातना में है,
बस विरह,वेदना,वियोग,विलाप मेरी दास्तां में है।

असंभव सी उम्मीदें हैं जो टूटना ही नहीं चाहती,
सिर्फ तड़पती,कलपती इक पुकार मेरी आत्मा में है।

वो जितना दूर है, तुम उतने ही मेरे पास हो,
सिर्फ इतना ही अंतर तुम में और आसमां में है।

 उसे अलौकिक कहते है और तुम लौकिक हो,
 सिर्फ इतना ही अंतर तुम में और परमात्मा में है।

मैं तुम्हारी तस्वीर को शर्ट के खलीसे में रखता हूं,
बस इतनी ही दूरी मेरी आत्मा और परमात्मा में है।

©एक शख्स
  #delusion