पितृ स्मृति **************** अब आपकी स्मृतियाँ ही मेरा उच्छ्वास हैं पापा, आपके आशीष की छत्रछाया मेरा आवास हैं पापा, सम्पूर्ण पँक्तियाँ अनुशीर्षक में पढ़े। पितृ स्मृति **************** अब आपकी स्मृतियाँ ही मेरा उच्छ्वास हैं पापा, आपके आशीष की छत्रछाया मेरा आवास हैं पापा, आप ही मेरा अभिमान मेरी शान थे, गर्व से कहने को आप मेरा सम्मान थे, आज मन मात्र बिलख कर रह जाता,