शराफ़त की तू मलिका, दिल पे करती राज़ थी। ढाई आखर वो बयां कैसे करता, की तू ही मेरा कल, तू ही मेरा आज थी।। इज्जत तेरी प्यार से बढ़कर, इसलिए खत से किया इजहार था। तेरी झुकी पलके, और दबी सी मुस्कुराहट, शर्म से लाल रुखसार था। ख़त पढ़ मेरी तरफ देख शर्माना, ही तेरा इकरार था। उल्फतों के दौर में भी छिप छिप कर मिलना, तुमको गवारा ना था। तेरी मर्ज़ी के खिलाफ जाता, में भी कोई आशिक़ आवारा ना था।। तेरे घर रिश्ता भिजवा, बाइज्जत, तुम्हारे परिवार से मांगा था तेरा हाथ। परिवार की रजामंदी पर हुई थी वो पहली मुलाक़ात।। कुछ लबों से तो ना बोल पाए थे, पर तेरी निग़ाहों ने खोल दिया था राज़। हां ख्वाहिश मेरी मुकम्मल हुई, जब तूने भी आखिर बोल दिया कि हां तू ही होगा मेरा कल और तू ही मेरा आज।। शर्मा कर चली गई तू बोल इतनी बात। कैसे भूलूं मेरे रूह से तेरी रूह को जोड़ गई थी, वो जो पहली मुलाक़ात।। वो पहली मुलाक़ात।। ©Vasudha Uttam #OurMeetings #meetings #Nojoto #Nojotonews #Nojotohindi #nojotoenglish #nojotowriters Anita Mishra sunny Adlakha Pragati Jain Himanshu Jagdish Sharma Spykee brar Govind Pandram Sudha Tripathi Pradeep Sargam💐💐 फक्कड़ मिज़ाज अनपढ़ कवि सिन्टु तिवारी