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विकल रहता हृदय मेरा, तुम्हारी  याद में हर पल। तुम्

विकल रहता हृदय मेरा, तुम्हारी  याद में हर पल।
तुम्हें ही ढूंढता है मन, कहीं पर हो अगर हलचल।
रहूं मैं  भीड़  में  चाहे,  रहूं  या  फिर  अकेला  मैं।
रगों में  बह  रहा मेरे,  तुम्हारा  प्रेम ही  कलकल॥

©दिनेश कुशभुवनपुरी
  #मुक्तक #तुम्हारा_प्रेम