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स्वर्ण बाली 6 ये रात कितनी लंबी कारी, कहे नाही ब

स्वर्ण बाली 6


ये रात कितनी लंबी कारी, कहे नाही बीते हाली।
कैसी कैसी बात सोची, धुआं धुआं मन हो भारी।
कश्म कश में उलझी जाती सोची सोची यही बाती।
अश्व मन का दौड़े खाली, जाने क्या हो आगे हानी।

©Shailendra Shainee Official
  #स्वर्ण बाली 6