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दूर दूर तक ले जाते हुए भी कितनी पास रहती है गंतव्य

दूर दूर तक ले जाते हुए भी कितनी पास रहती है
गंतव्य पर पहुंचा ही देने की आस रहती है,,
कभी कन्द्राओ से कभी रेगिस्तानों से,,
पर्वत  पठारों से, घाटी मैदानों से 
शहर ओर गावों से , सभी जगहों से 
गुजरती हुई जब सरपट दौड़ती है
तो ,,
एक मधुर संगीत में कानों को 
घर के एहसास का सुकून देती जाति है,,.....

©Rakesh frnds4ever
  #Train 
#दूर  दूर तक ले जाते हुए भी कितनी पास रहती है
#गंतव्य  पर पहुंचा ही देने की आस रहती है,,
कभी #कन्द्राओ से कभी #रेगिस्तानों से,,
#पर्वत  पठारों से, #घाटी  #मैदानों  से 
शहर ओर गावों से , सभी जगहों से 
गुजरती हुई जब सरपट दौड़ती है
तो ,,

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