"बदहाल किसान" फसलों की बदहाली कैसे मनाऊँ दिवाली कैसे मनाऊँ दिवाली कोई तो सुने मेरी बदहाली हो गया घर मेरा खाली खेत मेरा खाली बह गया सबकुछ न बची एक भी थाली थोड़ा ही सबकुछ था मेरा वो भी नष्ट हो गया सारा अब उत्साह खुशी न रही दिवाली की बस पीड़ा है फसल बर्बादी की , हां बस चिंता है अगली बुआई की न कुछ नया लाएगी न लछ्मी* घर आएगी न नए वस्त्र आएंगे न घर सजेंगे बस दिए जलेंगे वो भी कहीं पानी से भरे होंगे खेतों में मेरा सोना था धनतेरस का गहना था सोच फसलों की चमक चौदस का रूप निखरा था न अब हरे खेत पीले होंगे न हम चांदी पहने होंगे न थाल पूरी सजेगी जो इस बार अन्न-धनलछ्मी* न घर आएगी साल के खास दिन भी खुशियों के बजाय कहीं अकेले कोने में आंसूओं की बाढ़ होगी न बैलों के गले में घंटियों की झंकार होगी इस बार गोवर्धन तेरी पूजा बैंड बाजे बिन उदास होगी माफ करना मुझे ओ मेरी बहना-२ इस भाई-दूज तेरी आस न पूरी होगी हिम्मत हारे बैठा निराश इस भाई को तेरी जरूरत होगी-२ hey guyz pls read it and raise ur hand for help for others .its time to feel the situation of farmers.#farming #poorfarmer #devasted #helpless #floodandfarmer #kisan #fasal #lovepoetry #poetrypassion #help #currentissue #unite #raiseurvoice