तेरी एहसान मैं चुका दी हूं जब से तुझे गीत गजल से सजा दी हूं अब न शब्द बचा है ना राग तेरा सब कुछ दिया तुझ में ही भुला दी हूं अब कुछ नहीं चाहिए मुझे तुमसे इतना दिया कम नहीं लगा रोके जीने के लिए आज देख तुम बिन मैं कैसे हंस रही हूं क्या तुम्हें अभी भी है गुरूर अपनी दी विदाई के लिए है तो होना भी चाहिए मुझे तन्हा जीना जो सिखा दिए हो भविष्य की शहनाई के लिए बुरा लगा हो कुछ तो माफ करना इतना दिल दुखाए थे तो आज दिल दुखा दी तेरा भी अपनी कमाई के लिए लगता कुछ समझे नहीं छोड़ ना समझे तो अब और समझा कर मैं वक्त नहीं बर्बाद करना चाहती तुझ जैसी "खंडहर जमी" के लिए @खुशबू कुमारी #पोएट्री ऑनलाइन