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सुधा दी सुधी ने देखो आपके मन की बात लिखी Dedicati

सुधा दी
सुधी ने देखो 
आपके मन की बात लिखी Dedicating a #testimonial to सुशील कुमारी "सांझ"
सबसे मुश्किल है इस पत्र का उत्तर लिखना,मेरे मन का पोस्टमार्टम करने वाली सुधी,जिस सरलता से तुमने मेरे भीतर आए परिवर्तन को सबके सामने रखा है।वो एकदम सही है।
सुधा दी जब मुझे उन लोगों से बात करते देखती जो ब्लड के लिए आते, या मेरे मौन में चीख रही वीना को सुनती तो अक्सर कहा करती...तुझे सब लिखना है किसी दिन, और इसीलिए वो हमेशा मुझसे काम से कम 10 पेज की चिट्ठी लिखवाती....जैसा कि तुमने कहा di जानती थी, मैं राइटिंग को कभी भी अपना प्रोफेशन नही बनाऊंगा और जो भयंकर चीख पुकार मेरे अंतर में मची रहती है वो किसी दिन लावा बन के फूटेगी...
सच है मुझे समझने में लोगों की गिनती इक्का दुक्का  ही थी..और मैं भी मौन की चादर ओढ़ कर खुद को छिपाए रहता था....
सब जानते थे...मानते थे की मुझे ब्लड डोनेशन को ऊंचाई के उस मुकाम तक ले कर जाना है जो आसमां को छू ले...मानता हूं सुधा दी की अचानक मृत्यु ने कुछ समय के लिए वो शून्यता भरी मुझमें कि मुझे अपनी ही नब्ज़ देखनी पड़ती कि चल रही है ना.... रोया मैं बिल्कुल भी नहीं था क्योंकि में उन्हें रो धो कर आंसुओं में नहीं बहाना चाहता था।
सुधा दी भी अक्सर मुझे चिड़ाती थी...अव्वल तो तू शादी के लिए बना ही नहीं और अगर तेरी शादी हो भी गई तो तुझे बेटी नहीं मिलने वाली...
अनु तुझे बहुत सारी बेटियों के लिए बहुत कुछ करना है...जैसा तुझे देखा है समझा है जाना है... तू करेगा और तुझे करना ही होगा...ये मेरी भी अंतिम इच्छा है...मेरी इच्छा तेरे लिए आदेश है ना😂
सुधी(सुशील)....
सुधा दी
सुधी ने देखो 
आपके मन की बात लिखी Dedicating a #testimonial to सुशील कुमारी "सांझ"
सबसे मुश्किल है इस पत्र का उत्तर लिखना,मेरे मन का पोस्टमार्टम करने वाली सुधी,जिस सरलता से तुमने मेरे भीतर आए परिवर्तन को सबके सामने रखा है।वो एकदम सही है।
सुधा दी जब मुझे उन लोगों से बात करते देखती जो ब्लड के लिए आते, या मेरे मौन में चीख रही वीना को सुनती तो अक्सर कहा करती...तुझे सब लिखना है किसी दिन, और इसीलिए वो हमेशा मुझसे काम से कम 10 पेज की चिट्ठी लिखवाती....जैसा कि तुमने कहा di जानती थी, मैं राइटिंग को कभी भी अपना प्रोफेशन नही बनाऊंगा और जो भयंकर चीख पुकार मेरे अंतर में मची रहती है वो किसी दिन लावा बन के फूटेगी...
सच है मुझे समझने में लोगों की गिनती इक्का दुक्का  ही थी..और मैं भी मौन की चादर ओढ़ कर खुद को छिपाए रहता था....
सब जानते थे...मानते थे की मुझे ब्लड डोनेशन को ऊंचाई के उस मुकाम तक ले कर जाना है जो आसमां को छू ले...मानता हूं सुधा दी की अचानक मृत्यु ने कुछ समय के लिए वो शून्यता भरी मुझमें कि मुझे अपनी ही नब्ज़ देखनी पड़ती कि चल रही है ना.... रोया मैं बिल्कुल भी नहीं था क्योंकि में उन्हें रो धो कर आंसुओं में नहीं बहाना चाहता था।
सुधा दी भी अक्सर मुझे चिड़ाती थी...अव्वल तो तू शादी के लिए बना ही नहीं और अगर तेरी शादी हो भी गई तो तुझे बेटी नहीं मिलने वाली...
अनु तुझे बहुत सारी बेटियों के लिए बहुत कुछ करना है...जैसा तुझे देखा है समझा है जाना है... तू करेगा और तुझे करना ही होगा...ये मेरी भी अंतिम इच्छा है...मेरी इच्छा तेरे लिए आदेश है ना😂
सुधी(सुशील)....