मन चंचल एक ठोर ना टिके कभी इथे कभी उथे पल पल भ्रमित करता कभी ये कभी वो उलझा कर रख देता जाएं तो जाएं कहां इससे बचके कैसे पीछा छुड़ाएं इसकी उलझनों से दिल तो है बच्चा जब तक थे बच्चे सारे काम थे अच्छे आड़े टेढ़े मेढ़े