बेचैन चील बेचैन है अपनी आंखों से प्यास की तलाश में नुकीले कंकड़ से चमक उठता है सौंदर्य उसका देख रेख के सिलसिले में फड़फड़ाते पंख गति ना थमती वक्त के लहराते सावन में फिर बेचैन है उसकी आंखें प्यास की तलाश में इन बादलों के समक्ष लहराती पवने उसके कक्ष के विपरीत नहीं समूचा गगन उसकी आंखों से फहराया गया दामन में उसके कैद है गोल गोल आंखों से घूमते इशारे मानो द्वंद की फटकार हो सब गोल संसार,दृश्य,वृक्ष सब पलक झपकते नजरों से गायब हो ही जाती है परछाइयां सभी उन कैद सन्नाटो से #Yãsh🖊