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हु सगे आस्तान तेरे दरबार में इससे बढ़कर मुझे कुछ

हु सगे आस्तान तेरे दरबार में 
इससे बढ़कर मुझे कुछ नहीं चाहिए
तेरे सदके गुजारूं में ये जिंदगी
मौत भी तेरे कदमों तले चाहिए
,
राहे इश्क बहुत हे कठिन मान ली
मेरी मंजिल बहुत दूर है जान ली
है तकाजा यही कि मैं हद में राहु
इश्क कहता है हद से गुजर चाहिए

©shahnawaz nazar official
  #sufism #ghazal #Poetry #meriqalamse  MM Mumtaz shamawritesBebaak_शमीम अख्तर sana naaz ABRAR Ayushi Agrawal