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हे अर्जुन! रजोगुण के बढ़ने पर लोभ, प्रवृति, स्वार्

हे अर्जुन!
रजोगुण के बढ़ने पर लोभ, प्रवृति, स्वार्थ बुद्धि से कर्मों का सकाम भाव से आरंभ, अशांति और विषय भोगों की लालसा ये सब उत्पन्न होते हैं।।
श्रीमद्भगवतगीता १४/१२ रजो गुण के लक्षण
हे अर्जुन!
रजोगुण के बढ़ने पर लोभ, प्रवृति, स्वार्थ बुद्धि से कर्मों का सकाम भाव से आरंभ, अशांति और विषय भोगों की लालसा ये सब उत्पन्न होते हैं।।
श्रीमद्भगवतगीता १४/१२ रजो गुण के लक्षण