Nojoto: Largest Storytelling Platform

नग्नता कुछ इस कदर हावी हुई है। अस्मिता नी

नग्नता   कुछ  इस  कदर  हावी  हुई  है।
अस्मिता   नीलाम  होती  दिख  रही  है।
शर्म को गहना  न कहना अब कभी भी।
"बेशरम" अब आम होती दिख  रही है।।

                   अंग निज के या निजी हों पल रूमानी।
                   अब निजी ना, खूब  प्रचलित हो रहे हैं।
                   बस ज़रा बाजार में  कुछ नाम खातिर। 
                   नग्न  होकर  भी  प्रफुल्लित हो रहे हैं।।

बोध  है  सौंदर्य  का  जो  पूर्ण  पट  में।
वह   कहाँ   मर्याद   खोती  नग्नता  में।
हो  भले  ही  मामला  अधिकार का ये।
पर  नहीं  श्रृंगार   बसता   रुग्णता  में।।

               ये   कहानी   भी   नही  कोई  प्रगति  की।
               ये   निशानी   है  महज  अंधे  नकल  की।
               कल  जो  जन्मे,  आज में मर जाएंगे बस।
               कल तलक ना रह सकेगी बात कल की।।

क्या  यही  दिखलायेंगे  वो  पीढ़ियों  को।
किस  क़दर  वो  नग्न  होकर  नाचते  थे।
जिस विषय पर थी नहीं कोई समझ भी।
उस  विषय  पर  क्या  कहानी बाँचते थे।।

              बेतुकी  अभिव्यक्ति  का  भी  है असर ये।
              देश   में   नैतिक   पतन  उत्थान   पर  है।
              और  उस  पर  चाहिए  अधिकार सबको।
              खुद  के  कर्मों  का  नहीं  कोई  असर है।।

                                                             ........कौशल तिवारी

©Kaushal Kumar #सोशल मीडिया में नग्नता आजका
नग्नता   कुछ  इस  कदर  हावी  हुई  है।
अस्मिता   नीलाम  होती  दिख  रही  है।
शर्म को गहना  न कहना अब कभी भी।
"बेशरम" अब आम होती दिख  रही है।।

                   अंग निज के या निजी हों पल रूमानी।
                   अब निजी ना, खूब  प्रचलित हो रहे हैं।
                   बस ज़रा बाजार में  कुछ नाम खातिर। 
                   नग्न  होकर  भी  प्रफुल्लित हो रहे हैं।।

बोध  है  सौंदर्य  का  जो  पूर्ण  पट  में।
वह   कहाँ   मर्याद   खोती  नग्नता  में।
हो  भले  ही  मामला  अधिकार का ये।
पर  नहीं  श्रृंगार   बसता   रुग्णता  में।।

               ये   कहानी   भी   नही  कोई  प्रगति  की।
               ये   निशानी   है  महज  अंधे  नकल  की।
               कल  जो  जन्मे,  आज में मर जाएंगे बस।
               कल तलक ना रह सकेगी बात कल की।।

क्या  यही  दिखलायेंगे  वो  पीढ़ियों  को।
किस  क़दर  वो  नग्न  होकर  नाचते  थे।
जिस विषय पर थी नहीं कोई समझ भी।
उस  विषय  पर  क्या  कहानी बाँचते थे।।

              बेतुकी  अभिव्यक्ति  का  भी  है असर ये।
              देश   में   नैतिक   पतन  उत्थान   पर  है।
              और  उस  पर  चाहिए  अधिकार सबको।
              खुद  के  कर्मों  का  नहीं  कोई  असर है।।

                                                             ........कौशल तिवारी

©Kaushal Kumar #सोशल मीडिया में नग्नता आजका