ખામોશી हर बार खामोशी होती है,,जंग लगी तलवारों सी,,,,जंग लगी तलवारे होती,घर मे छुपे गद्दारों सी खामोशी,,,,,,,,, बहुत रोचक शब्द लगभग हर कलमकार/मुहोब्बत के दिवानो आदि की पसंद का पहला शब्द होता है,,,,,,,,,,, खामोश रहना अच्छा है लेकिन हर बार नही,,,, क्योकि आपकी जरुरत से ज्यादा खामोशी भी आपकी प्रतिभा का हनन कर देती है,,,,,,,,,,आपका हुनर छुप ना आप की खामोश रहने की प्रवृति है,,,,,,,, अक्सर,,,, आपके पास मौके आते है लेकिन आप खामोशी साध लेते हो इस कारण वह मौका हाथों से निकल जाता है,,,,अब हमे यह समझ होनी चाहिये की खामोशी कब तक व कहाँ रखनी चाहिये,,,,, बिल्कुल निठ्ठले बनकर रहना आप का ह्रास है,,,,,,,,,,,,,,आज देश की तरक्की की सबसे बडी बाधा,,, अच्छे व योग्य लोगो का खामोश रहना है,,,,,,,,जब ईश्वर आपको हुनर देता है और खामोश रह कर उसे छुपाना आपकी मुर्खता है,,,,,,,,, कौशल व योग्य पुरुषो का खामोश रहना "देश व समाज का ह्रास है,,,,देश की तरक्की का नुकसान है,,, क्योकि आपकी खामोशी से अयोग्य लोगो के लिये "मौका तैयार हो जाता है"और अयोग्य लोग केवल "दुध की तरफ ताकती"बिल्ली से होते है ,,"बस!वे मौके को तलाशते रहते है,,,,और अपनी हैवानगी से वो प्राप्त कर लेते है,,,,,,जिसके वह काबिल ही नही थे,,,,,,,,कही कही हक के लिये लडना पडता है,,बिना लडे हक नही मिलता है,,,,,, इसलिये,,,,,,हर वक्त खामोशी होती है जंग लगी तलवारो सी,,,,,,, ओम भक्त मोहन बनाम कलम मेवाड की कृत 🇮🇳Harishankar Mishra🇮🇳