अनजान हैं ये दुनियाँ नादान हैं ये दुनियाँ समझती नहीं बिन फेरों की शादी को . दिल से दिल मिले जिस्म से जां इतना काफ़ी था मेरी बर्बादी को रोज रात जब सेज सजी मजा आया मस्तानी को नौछावर किया हुस्न-ए-आफ़ताब बेताब सृष्टि चौरासिया गर्म पानी को रात भर चले मंथन सलाम जवानी को अमर हैं सृष्टि चौरसिया पीकर अमृत पानी को ©Deep Bawara #yq_TRP #erotica #eroticapoetry #shrishtikisayaripoetry #yqdidi #Nojoto